रविवार, 13 अप्रैल 2008

ख्वाहिशों में अपना दिल न लगाओ-हिंदी शायरी

आदमी की ख्वाहिशें
उसे जंग के मैदान पर ले जातीं हैं
कभी दौलत के लिए
कभी शौहरत के लिए
कभी औरत के लिए
मरने-मारने पर आमादा आदमी
अपने साथ लेकर निकलता है हथियार
तो अक्ल भी साथ छोड़ जाती है
ख्वाहिशों के मकड़जाल में
ऐसा फंसा रहता आदमी जिंदगी भर
लोहे-लंगर की चीजों का होता गुलाम
जो कभी उसके साथ नहीं जातीं हैं
जब छोड़ जाती है रूह यह शरीर
तो समा जाता है आग में
या दफन हो जाता कब्र में
जिन चीजों में लगाता दिल
वह भी कबाड़ हो जातीं हैं
ख्वाहिशें भी एक शरीर से
फिर दूसरे शरीर में घर कर जातीं हैं
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ख्वाहिशों में अपना दिल न लगाओ
वह कभी यहां तो कभी वहां नजर आतीं हैं
एक जगह हो जाता है काम पूरा
दूसरी जगह नाच नचातीं हैं
किसी को पहुंचाती हैं शिखर पर
किसी को गड्ढे में गिरातीं हैं
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शनिवार, 12 अप्रैल 2008

दुनियादारी इसी का नाम है-हिंदी शायरी

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
उनके जख्म पर लगाओं मरहम
वह फिर भी दिल में बदनीयती और
बुरे इरादे लिये होते हैं
लेते हैं अच्छा नाम
केवल लोगों को दिखाने के लिये
दिल में जमाने को लूटने के
उनके अरमान होते हैं
शरीर का इलाज तो किया जा सकता
पर उनको दवा देना है बेकार
जिनके दिल में खोटी नीयत और
बेईमानी के रोग लाइलाज होते हैं
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शादी से पहले
होते हैं आशिक और माशुका
बाद में बन जाते हैं मियां-बीवी
इश्क हो जाता है हवा
दुनियांदारी इसी का नाम है
जब जरूरतों की जंग
घर को बना देती है टीवी

बुधवार, 2 अप्रैल 2008

अपना दर्द पी जाएं तो अच्छा है-हिंदी शायरी

जब भी तलाश की किसी साथी की
जो दिल को तसल्ली दे
कोई ऐसा मिला नहीं
जिसको दिया अपना हाल
दिखाने को हमदर्द बनता
फिर जाकर चटखारे लेकर भीड़ में सुनाता
महफिलों में वाह-वाही लूटता कहीं
हमारा दर्द तो हल्का नहीं हुआ
जमाने में बदनाम हो गये हर कहीं
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किसी को अपना दर्द सुनाने से
दिल में ही रखें तो अच्छा है
हमदर्दों से धोखा खाएं
अपना दर्द खुद ही पी जाएं अच्छा है
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