सोमवार, 2 जुलाई 2007

बोए पेड बबूल का

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दुसरे के रास्ते में
बबूल बोकर यूं
खुश हो जाते हैं
जैसे चंदन के पेड
लगा दिया हो
जब उस पर
अनजाने में गुजरते हुए
लगते हैं उनके पाँव में
तब कांटो को कोसते हैं
खुद बोया था यह नही सोचते हैं
ऐसा लगता है जैसे अपनी
याददाश्त को खो दिया हो
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बोए पेड बबूल का
आम कहाँ से होय
फिर भे नहीं लगाएँगे आम
हम खाए या नहीं पर
खा सके न और कोय
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