ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी
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*कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़ेकहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़ेअपने
हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं काबोझ उठाये ढोता आदमी ने...
16 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बहुत खूब गर देर तक सोने वालों अब हमें सुनो किसी और के माध्यम से:
सचमुच बहुत देर तक सोये
लोगों ने बोई फुलवारी
हमने अब तक बीज न बोये..
सचमुच बहुत देर तक सोये..........
बस यह देखें. :)
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