कौन देगा चैन---------------
कौन ढूँढें और कहाँ सुख का चैन
जो दिल की शांति बेचते हैं
अपने-अपने रंग के चोले ओढ़कर
दौलत और शौहरत के लिए
घूम रहे हैं बेचैन
---------------
बेरोजगार---------------
कुछ पढ़ लिख गया
तो अब हो गया बेरोजगार
कहीं इधर-उधर ढूँढता नौकरी
अपनी शिक्षा की उपाधि से
कोई वास्ता नहीं रहा
पहले वेतन का है उसे इन्तजार
-------------------
बजवाते ताली -------------------
पूंजीपति को देते हैं गाली
खुद की जेब भी है खाली
रोटी का सपना दिखाकर
बजवाते लोगों से ताली
लड़ते-झगड़ते अपनी रोटी तो
सेंक जाते हैं पर उनके भर के
बरतन भी रहते हैं खाली
-------------------
------------
2 टिप्पणियां:
सही है!
अच्छा है। बधाई!
एक टिप्पणी भेजें