नारद पर अपने योगासन और प्राणायाम पेटेंट करने के लिए मैं यह अपना आवेदन भेज रहा हूँ कृप्या मेरा योगासन भी पेटेंट कर लो।अब जब अमेरिका में योगासनों का पेटेंट हो रहा है तो हमें भी कर लेना चाहिए ।
मै जब छोटा था तो स्कूल के एक अध्यापक थे और हमारे ही पड़ोस में रहते थे, एक बार उन्होंने कहा कि जो बच्चा मेरे यहां योग साधना करने आएगा वह जरूर पास हो जाएगा। हमने कुछ और समझा और लग गये उनके घर सुबह जाकर योग साधना करने। योग साधना के मामले में हमने उनसे काफी कुछ सीखा, उस समय हमें यह पता नहीं था कि सीख क्या रहे हैं पर कुछ ऎसी आदत बन गयी कि मैं तब से आज तक सुबह उठकर प्राणायाम जरूर करता हूँ और उसके बाद बाहर घूमने जाता हूँ। मुझे तो अभी पिछले बरस ही पता लगा कि उन्हें अनुलोम-विलोम, कपाल भारती और भस्त्रिका कहते हैं । मैं अब भी पद्मासन में ध्यान लगाता हूँ ।यह तो मुझे अब पता लगा कि उसे पद्मासन कहते हैं। बहरहाल मैं सुबह सैर कराने को ही अपने असली एक्सरसाइज कहता हूँ, और जो प्राणायाम करता हूँ उसका महत्व अब जाकर समझा हूँ । उस दिन भतीजा और भतीजे जरूर कहने लगे " चाचाजी हमें भी योग साधना सिखा दो "।
मैंने कहा -" कि मुझे खुद योग साधना नहीं आती तुम्हें क्या सिखाउंगा।"
उस दिन भतीजी कह रही थी-" चाचा जो आप करते हो न उसे ही तो योग साधना कहते हैं । आप हमें भी सिखा दो।"
मैंने कहा-"अगर तुम्हें सीखना है तो टीवी पर देखकर सीख लो , मेरा पीछा छोडो ।
दोनों चुप हो गये फिर मैंने कहा-"तुम अपने पापा से क्यों नहीं सीख रहे वह तो रोज जाते हैं पार्क में करने। उनसे कहो घर पर ही तुम्हे भी करायेगे । वैसे भी तुम करोगे क्या सीखकर।"
भतीजा बोला-"इससे अक्ल और वजन दोनों पर कण्ट्रोल होता है । आदमी बहुत तेज हो जाता है।"
मैंने आश्चर्य से पूछा तुम्हें कैसे मालुम ?"भतीजा बोला-"आपको देखकर लगता है कि यह सच ही होगा। हम सब को चुप करा देते हैं पर आप हमें चुप करा देते हो।"
"मैंने कहा-"अच्छा तुम चाहते हो कि मैं ही तुम्हें सिखाऊं और तुम मेरे को ही चुप कराने लगो । मैं नहीं सिखाता तुम्हें ।"
भतीजी बोली-"मत सिखाओ चाचा, आपका भी योग साधना बंद हो जाएगा। अब इसे अमेरिका में पेटेंट कर दिया है आप पर टेक्स लग जायेगा। हमें सिखाओगे तो आपका भी पेटेंट हो जाएगा तब कोई आप टैक्स नहीं लगा पायेगा। हम आपकी गवाही देंगे।"
मेरी भतीजी सुबह उठकर अपने पापा के कहे अनुसार गर्दन को घड़ी की तरह घुमाती है और मैंने देखा है कि पिछले एक वर्ष में उसमें काफी परिवर्तन आये है।मैंने उससे कहा-"तुम्हें यह सब किसने बताया?"
मेरी भाभी जो इस वार्तालाप को सुन रहीं थी बोलीं, आज अखबार में भी आया है और कल टीवी पर भी सूना था , मैंने ही इनको बताया था ।"
"नहीं! वह तो आपने भईया को बताया था मैंने तो खुद टीवी पर सुना था ।" ,मेरी भतीजी अपने को बुध्दिमान साबित करने का कोइ अवसर नहीं छोडती।
भतीजा बोला-"चाचा आप हमें न सिखाओ पर अपना अपने योग का पेटेंट तो करा लो । ऐसा न हो कि फिर हमें और कोइ भी न सिखा सके।"
"मैं कहॉ पेटेंट कराऊँ।"मैंने चिढ़कर पूछा
" वह आपने क्या बनाया है इण्टरनेट पर? ब्लोग... हाँ उस पर आप लिख कर डाल दो । चाचाजी आप यह काम जरूर करो और कभी हम सीखेंगे तो कोई नहीं रोक पायेगा हम कहेंगे हमारे चाचा का पेटेंट है." भतीजा बोला।
"इस कम्प्यूटर पर तो तुम्हारा पेटेंट है-"मैंने कहा-"इस पर मैं लिखूं तो लिखूं कब ?सारा दिन तो तुम्हारे गेम चलते हैं । उधर उनके पेटेंट का गेम चल रहा है इधर तुम्हारा।"
"चाचाजी , आप कुछ पर भी करो अपना योग साधना पेटेंट करा लो। हम आज नही बैठते कम्पूटर पर।"भतीजा बोला।
उनकी बातें सुनकर मुझे हंसी आ गयी ।चलिये साहब अब हम अपने कुछ आसान पेटेंट करा हे लेते है।
।१।मेरी भतीजी रोज सुबह घड़ी की तरह गर्दन घुमाती है । पहले दाएं तरह से बाएँ और फिर बाएँ से दाएं । पहले बाएँ से दाएं बाएँ और फिर दाएं से बाएँ घुमाने पर हमारा कोई पेटेंट नहीं है
।२।मेरा भतीजा चादर बिछाकर जमीन पर सोकर दोनों घुटने मिलाकर पहले सीधे सायकिल चलाने का और फिर इसका उल्टा करता है। पहले उल्टी सायकिल चलाकर और फिर सीधी चलाने पर हमारा कोई पेटेंट नहीं होगा
।३।मेरी भाभी अपने दाएं हाथ को सीधा कर अपने सामने रखती है और फिर उसे दाएं से खींचते हुए बाएँ ले जाती है इससे ध्यान और एकाग्रता में वृध्दि होती है। बाएँ से दाएं कराने या बाएँ हाथ से करने पर हमारा कोइ पेटेंट नहीं है
।४।मैं सुबह उठकर अपनी नाक के दाहिने हिस्से पर उंगली रखकर बाएँ से सांस लेता हूँ और फिर दाहिने से छोड़ता हूँ और फिर दाहिने हिस्से से सांस लेकर बाएँ से छोड़ता हूँ। इसे अनुलोम-विलोम कहते है और फिर पेट में सांस भरकर उसे जोर से पिच्काता हूँ उसे कपाल भारती कहते हैं । उसके बाद पूरा पेट खालीकर सांस रोक कर मैं पेट को जोर से पिचाकाता हूँ उसे अग्निसार कहते हैं यह पाचन क्रिया को सही रखता है। अनुलोम विलोम की तरह एक और प्राणायाम है जिसमें सांस रोकता हूँ उसे नाडी शोधन प्राणायाम कहते है, इनसे अलग क्रम करने पर हमारा कोई पेटेंट नहीं है।
लो हो गया पेटेंट। नारद वाले भी गवाह हो गये। अब रहे भैया के आसन तो उनसे किसी दिन बैठकर वह भी करवा लेंगे। अब देखते हैं कौन क्या कर लेता है? अपने तो हो गये आसान और प्राणायाम पेटेंट । भाई लोगों लगे हाथ आप भी नारद पर अपने आसन पेटेंट करा लो। अभी अकेला हूँ चार पांच हो जायेंगे तो हिम्मत हो जायेगी। अगर तुम नहीं करते तो कोई बात नहीं मगर पेटेंट करवाने में क्या हर्ज है। कोइ एक किताब उठा लो और ब्लोग पर लिख मारो , मेरे पास कोई किताब नहीं है अगर होती तो चौसठ आसन भी करालेता। आपको आसन करना आते हैं या नही यह कौन देखने वाला है। योगसाध्ना का मतलब जानना भी जरूरी नहीं है और इस बात से भी चिंतित होने की भी जरूरत नही है कि हम तो भारत में रहते है कोइ अमेरिका में थोड़े ही रहते हैं, अरे जब कोई भारत का आदमी अमेरिका में बैठकर इसे पेटेंट करा सकता है तो क्या हम भारत में नहीं कर सकते।तुम अंगरेजी में करा डालो तो कोई समस्या ही नहीं आयेगी। हिंदी में मैं करा डालूँगा। डरना बिल्कुल नहीं, अपना नारद भी अपने साथ है। नहीं हुआ तो हो जाएगा।
2 टिप्पणियां:
मुझे लगता है कि चिट्ठों का पेटेंट भी जरूरी हो गया है. कोई उपाय सूझे तो मुझे भी बताएं
बहुत सही लिखा है। ये पेटेंट के कानून ने तो अति कर रखी है।
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