मंगलवार, 15 मई 2007

ख्यालों में सवालों में

कुछ पल की ख़ुशी
कुछ पल का गम
कुछ पल का प्यार
कुछ पल की नफ़रत
हर पल मई जीता हो जिन्दगी
अपने ख्यालों में
तुन मुझमे चाहे जो ढूढ़ लो
चाहे मुझे जो समझ लो
पर मुझे नही घेरना सवालों में
जिन्दगी का हर पल जीने वाले की
अपनी ही अमानत होता है
मुझे कोई रास्ता न सुझाओ
कोई सपना मुझे न दिखाओ
मेरा सच अच्छा है या बुरा
छोड़ दो मुझे अपने हॉलों में
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यह कविता सुधार कर पुन: प्रस्तुत की गयी है

1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।