कुछ पल की ख़ुशी
कुछ पल का गम
कुछ पल का प्यार
कुछ पल की नफ़रत
हर पल मई जीता हो जिन्दगी
अपने ख्यालों में
तुन मुझमे चाहे जो ढूढ़ लो
चाहे मुझे जो समझ लो
पर मुझे नही घेरना सवालों में
जिन्दगी का हर पल जीने वाले की
अपनी ही अमानत होता है
मुझे कोई रास्ता न सुझाओ
कोई सपना मुझे न दिखाओ
मेरा सच अच्छा है या बुरा
छोड़ दो मुझे अपने हॉलों में
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यह कविता सुधार कर पुन: प्रस्तुत की गयी है
ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी
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*कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़ेकहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़ेअपने
हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं काबोझ उठाये ढोता आदमी ने...
16 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर रचना है।
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