यह क्या हो रहा है। बाबा लोग काले धन को सफेद बना रहे हैं! चमत्कार है, जो लोग बाबाओं पर विश्वास नहीं करते उन्हें एक टीवी चैनल पर आ रही उस खबर को जरूर देखना चाहिए जिसमे भारत के सात बाबाओं को काला धन कमीशन लेकर सफ़ेद बना देते हैं । एक स्टिंग आपरेशन में इन बाबाओं को जिस तरह बातें करते हुए दिखाया गया है उस पर उनके भक्त आसानी से यकीन नहीं करेंगे और उनके प्रति मोह भंग भी हो सकता है । देश के कई बाबाओं ने भक्तों की भावना का लाभ उठाते हुए अपने तमाम तरह के धधे चला रखे हैं यह सब जानते हैं, यहां तक कि उनके भक्तों को भी यह अनुमान रहता है कि उन आश्रमों में आम आदमी और खास आदमी के बीच जो अंतर करते हुए व्यवहार किया जाता हिया उसे भी वह भोगते हैं , फिर भी मन की शांति के लिए वहां जाते हैं। अधिकतर भक्त सोचते हैं कि हमें तो अपनी भक्ती से मतलब है और वह इनके कार्यक्रमों में जाते हैं । मैं और मेरे बडे भाई साहब की बचपन से आदत है कि धार्मिक कार्यक्रमों में जाकर कथा और भजन सुनते हैं, और तो और मेरा भतीजा और भतीजी उस समय मेरी चमचागिरी करते हैं जब शहर में कोई धार्मिक कार्यक्रम होता है और स्कूटर पर बैठकर मेरे साथ उन्हें चलना होता है। लोग कहते हैं कि भारत बाबाओं और सन्यासियों का देश है पूरी तरह गलत है, दरअसल यह भक्तों का देश है। सवाल यह है कि लोग क्यों जाते हैं बाबाओं के पास। इसका कारण यह है हिंदुओं के धरम ग्रंथ आदमी के मन में रूचिकर भाव के साथ भक्ती उत्पन्न करते हैं, उनमें जीवन सा साथ तमाम तरह का विज्ञान होता है और उनके बारे में केवल संत समाग्नों में पढने को मिलता है। अगर इन धर्मग्रंथों को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाये तो लोग इनके बारे पढ़ कर उसे जो ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं वह कहीं और से प्राप्त नहीं हो सकता। जब लोगों को इन ग्रंथों के बारे में जानकारी हो जायेगी तब इन संतों के पास कोई नहीं जाएगा लोग स्वयं ही संतों जैसी योग्यता हासिल कर लेंगे तो फिर इनके यहां नहीं जायेंगे , मैं जानता हूँ कि इसका विरोध होगा। पर सत्य यही है कि हिंदू धरम ग्रंथों में जो भक्ती और आध्यात्म का रस है उससे लोग अवगत नहीं है इसीलिये जब इन संतों के मुख से जब इन ग्रंथों के बारे में सुनते हैं तो उनकी मन में नवीनता के भाव के साथ ही भक्ती और स्फूर्ति का भी अनुभव होता है। मेरा भतीजा और भतीजा जब गीता और भागवत पर किसी के मुख से जब कोई बात सुनते हैं तो बस उसकी तरफ देखते रहते है तब मुझे लगता है कि उन्हें इसकी शिक्षा स्कूल में भी दीं जाना चाहिए । इससे देश में नैतिक और आध्यात्म वातावरण का निर्माण होगा। जब तक यह शिक्षा नहीं दीं जायेगी तब तक हम अपनी जड़ों से कटे रहेंगे । इन बाबाओं से मेरी कोई सहानुभूति नहीं है क्योंकि इतनी पहुंच का दावा करने के बावजूद इन लोगों ने हिंदू धर्म ग्रंथों को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने का प्रयास नहीं किया क्योंकि वह जानते थे कि अगर सब लोग हिंदू धर्म ग्रंथों के गूढ़ रहस्यों से परिचित हो जाएंगे तो फिर उनकी कोई पूछ नहीं रह जायेगी। दरअसल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर केवल हिंदू धर्म को हमेशा निशाना बनाया गया है और इस पर इस तरह हमला किया जाता है कि दुसरे धर्मों की सहानुभूति के साथ पर अन्तर्राष्ट्रीय संपर्क भी बन सकें । याद राखन कि भारत को विश्व गुरू आज भी सूचना तकनीकी और अंगरेजी शिक्षा की वजह से नहीं बल्कि उसके अध्यात्म की वजह से है ।
1 टिप्पणी:
मस्तराम जी हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। पहले तो आपका नाम पढ़कर चकरा गया, क्योंकि इस तरह के नाम xxx पत्रिकाओं और ब्लॉगों के होते हैं। :)
नियमित लेखन हेतु मेरी तरफ से शुभकामनाएं।
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ई-पंडित
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