मंगलवार, 4 मार्च 2008

दिन का उजाला और रात का अँधेरा-हिंदी शायरी

रात को जगमगाती हुई रौशनी में

जो सुन्दर लगता है

दिन के उजाले में सूर्य की रौशनी में

वही असुंदर लगता है

इसलिए काले कारनामे करने वाले

ढूंढते हैं रात का अंधियारा

जिनको बेचना है नकली सौन्दर्य

वह सूरज डूबते ही करते हैं

नकली रौशनी का इशारा

भले आदमी की दिन में खुली न हों

पर रात के उनके खुले होने का

ख़तरा काम ही लगता है

मस्तराम आवारा ने देखा है

दिन का उजाला और रात का अँधेरा भी

यह भी देखा है जो दिन का उजाला देखते हैं

जो लोग खुली आंखों से

रात को भी उनकी अक्ल का पर्दा खुला लगता है

इसलिए चालाकियों का खेल

उनसे कभी नहीं चल सकता है

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