रविवार, 2 मार्च 2008

मोहब्बत और तोहफे-हिंदी शायरी

मोहब्बत में जरूरी है तोहफे दिए जाने
तोहफों को ही लोग मोहब्बतों का सबूत माने
इश्क और प्यार पर लिख कर चंद शेर
शायरों ने खूब नाम कमाया
आशिकों ने भी उनका रीमिक्स खूब गाया
पर तोहफों के बेचने वाले सौदागरों ने
इस पर खूब नामा कमाया
आशिकों की जेब हुई खाली तो क्या
इससे बदले नहीं मोहब्बत के मायने

जमाना बदला पर बदली नहीं मोहब्बत
आंखो के इशारे से मोहब्बत इजहार करने की जगह
आया ख़त लिखने का ज़माना
ख़त से टेलीफोन और
फिर आया मोबाइल का ज़माना
अब तो खुला है बाजार
खुल कर करो मोहब्बत
बदनामी से कौन डरता है
जो डर गया उसे लोग जवान बूढा माने
पहले बाजार में मोहब्बत
करने वाले डरते थे
अब खुले में लगे हैं अपने जजबात दिखाने
मोहब्बतों के तोहफों का विज्ञापन होता है
सिमट गयी है मोहब्बत औरत-मर्द के इर्द-गिर्द
मासूम और गरीब तो है हाशिये पर
मोहब्बत हैं वही जिसे ज़माना नहीं बाजार माने
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