शुक्रवार, 7 मार्च 2008

अमन और शांति की बात-हिंदी शायरी

हमने भेजा था सुलह का पैगाम

जवाब में किया उन्होने

कलह जारी रखने का एलान

अमन की बात करो तो लोग

बेदम समझने लगते हैं

आख्नें तरेरो और चीखो तो

भागने लगते हैं

खेल में खेलते जंग की तरह

जंग लड़ते हैं हमेशा बेवजह

फिर भी मिलती शांति प्रवर्तक की उपाधि

और बहुत सारा इनाम

फिर क्यों कोई भलेमानस

कभी मानेगा शांति का पैगाम

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तुम्हारे दिल में जब आ जाये अमन

हमें खबर तत्काल खबर कर देना

तुम्हारी खैर से ही होती हमको तसल्ली

तुम्हारा दर्द कर देता बैचैन

यह भी तुम समझ लेना

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