शुक्रवार, 21 मार्च 2008

होलिका दहन तो होता है हर साल-हिंदी शायरी

होलिका दहन तो होता है हर साल
उड़ते हैं रंग और सब जगह
सजते हैं पकवानों के थाल
लोग शराब और भांग के नशे में
झूमते-झूमते हो जाते निढाल
वर्षों से जल रही हैं होलिका
पर आज के प्रह्लादों को जलाने
हर साल फिर एक नयी चादर ले आती
कहीं शराब को कर देती जहर
कहीं गाड़ियों को आपस में
टकराकर ढहाती है कहर
शराब की बोतलों और तंबाकू के
पाऊचों की चादर के नीचे ला दिए
गाँव और शहर
खेलने के लिए डाले रंग तो
धुल जाते हैं
पर जो होते इस दिन घाव वह
कर देते हैं जिन्दगी बदहाल
--------------------------------

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the Wireless, I hope you enjoy. The address is http://wireless-brasil.blogspot.com. A hug.