सोमवार, 18 फ़रवरी 2008

मर्जी से प्यार मिलता नहीं-शायरी

जो चाह वह मिलता नहीं
मिल गया तो भी दिल बहलता नहीं
ख्वाब कुछ और होते है
हकीकतें वैसीं कभी होती नहीं
सपनों में जीने की आदत है जिनको
जिन्दगी उनकी होती सरल नहीं
जब तक प्यार पाने के लिए भटकता है आदमी
उसे मिल नहीं पाता
क्योंकि प्यार करना कोई यहाँ सीखा नहीं
ए जमाने वालों
वह फल तुम कैसे पाओगे
जिसका पेड़ तुमने लगाया नहीं
खुदगर्जी के लिए प्यार ढूँढने वालों
मर्जी से प्यार मिलता नहीं
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मस्तराम 'आवारा'

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