पल भर का प्यार माँगा था उनसे
तो अपनी शर्तों का पुलिंदा थमा दिया
हमने उनसे माँगा था दर्द उनका दर्द
उन्होने बाहर जाने का रास्ता दिया
पर भी वह खुश नहीं रह सके
अपने दर्दों से वह तड़पते रहे
किसी ने उनका हाल पूछा नहीं
चीखते रहे बहरी दीवारों की पीछे
हमारे दिल के दर्द को और बढा दिया
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मेकअप से उनका सौंदर्य
कितना निखर आता है
पर पसीने की थोडी बूँदें भी
उनकी असलियत बयान कर देतीं हैं
जिसमें वह बह जाता है
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एक सच छिपाने की लिए
कितने झूठ बोले जाते हैं
पर भी सच का रास्ता नहीं रोक पाते हैं
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ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी
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*कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़ेकहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़ेअपने
हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं काबोझ उठाये ढोता आदमी ने...
16 वर्ष पहले
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