शनिवार, 23 फ़रवरी 2008

अन्तरिक्ष में मकड़जाल बनाया-हिन्दी हास्य शायरी

जमीन पर बरसाया बारूद

अब जंग को आसमान में भी पहुंचाया

नाभिकीय हथियारों से

अन्तरिक्ष को भी सजाया

आदमी नहीं मिलता तो

अपनी दानव मशीन को

अपने ही हथियार से उडाया

पहले दानव जैसी मशीने बनाते

फिर उनको दुश्मन बताते

और फिर दानव नाशक देवता बन जाते

जूठ को प्रमाणित सत्य बनाया

मगर सच भला कहाँ छिपता है

हजार पहरों से भी बाहर दिखता है

कौन जला रहा है धरती की प्राण वायु को

कौन घटा रहा है हरियाली की आयु को

बारूद से इंसानियत की रक्षा करने की

ख्वाहिश जताते हैं वह लोग

जिन्होंने अब अन्तरिक्ष में दानव बसाया

दाएं देखो या बाएँ

जो दानव हैं वही देवताओं का चोला पहने हैं

बंदूके और मिसाइलें उनके गहने हैं

चेहरे पर हैं कुटिल मुस्कान

दूसरे को घाव देने में समझते शान

ऐसे दुश्मन का पता देते हैं

जिस कोई नहीं पाता जान

कहाँ आयेंगे अब देवता इस धरती पर

अन्तरिक्ष से धरती पर इन दानवों ने

जासूसी का जाल बिछाया

दावा यह कि अपने इलाके को बचाया

इस आड़ में दानवों ने ही अपना राज बनाया

अपने घर भरने के लिए रक्षा की बात करते

रोटी का कोई हिसाब नहीं करते

क्योंकि इससे उनके महल नहीं सजते

देते हैं दुनिया को धोखा

डरे सहमें लोग क्या किसी की रक्षा करेंगे

उन्होने तो बस हवा में इन्द्रजाल बनाया

लोग न देख सकें जहाँ अन्तरिक्ष में

वहाँ अपना मकड़जाल बनाया

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