मैंने आज चौराहा नामक एक ब्लोग पर एक लेख देखा। उसमें मेरा जिक्र भी है। इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण दे दूं। मस्तराम शब्द से बहुत दिन से मेरा ब्लोग भी लोग खोलकर देखते हैं। मैंने भी एक बार वह ब्लोग खोला था पर उसमें मेरी रूचि की लिए कोई सामग्री नहीं थी। यहाँ मैं बता दूं की मेरा उस ब्लोग से कोई संबंध नहीं है। मेरे दो ब्लोग हैं और मैं अपना काम करने के बाद ऐसे ही छोटी रचनाएं लिखकर काम चलाता हूँ। आज मैं पहले अपने स्टेट काऊंटर से जब देखने गया तो वहाँ से मुझे लिंक मिला मैंने उसे पढा। उसमें मेरा ब्लोग भी दिखाया था। मस्तराम मेरा नाम नहीं है पर मुझे प्यार से सभी इसी नाम से पुकारते हैं। इस ब्लोग पर मैंने बहुत समय से नहीं लिखा था पर अब इस पर लिख रहा हूँ।
आज समझ में आ रहा है कि इतने पाठक कहाँ से आ रहे हैं? मुझे यह ब्लोग खोले दस महीने से अधिक हो गया है और मुझे तो अब पता लगा कि कोई और भी मस्तराम है। वह जो हैं वह जाने पर मैं नहीं हूँ। कृपया कर मेरे वेब पेज का लिंक अपने ब्लोग से हटा लें। यार, ऐसे ही किसी भले आदमी को बदनाम मत करो। लिंक देने से पहले मेरा ब्लोग पढ़ तो लेते। उसमें ऐसा कुछ नहीं है। हाँ अगर इस तरह की रचनाएं चाहते हों तो कहीं से प्रायोजक दिलवाओ तो मैं भी लिख सकता हूँ पर उसमें भी बदतमीजी नहीं होगी। वह रचनाएं गुदगुदाएंगी पर उसमें अश्लीलता नहीं होगी। सभ्रांत लोग उसे पढ़कर शमिन्दा नहीं होंगे। आज अच्छा खासा व्यंग्य कवितायेँ लिखने का मन लेकर आया था पर मूड ही खराब हो गया।कम से कम मुझसे पूछ तो लिया होता। यह नारद। ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत पर लिंक ब्लोग है। ताज्जुब हैं इसे लोग नहीं समझ पाए। आशा है सब लोग समझ जायेंगे। मैं अपने मस्तराम नाम से लिखता रहूँगा। जिन्हें पढ़ना हैं पढें नहीं पढना हैं न पढें, पर इसमें केवल उनको हास्य व्यंग्य,कहानी, और कविताओं के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा। आपको उन मस्तराम को पढ़ना हैं तो उसका ब्लोग अपने यहाँ सैट कर लें नहीं तो मेरा ब्लोग खोलकर ख्वाम्ख्वाह परेशान होंगे। एक बात याह रखना ऐसी रचनाओं को पढ़ते बहुत लोग हैं पर समाज में चर्चा केवल साहित्य से संबंधित रचनाओं की होती है।
मेरे दो ब्लोग यह हैं
मस्तराम की आवारा डायरी http://mastrama.blogspot.com
मस्तराम का दर्शन और साहित्य http://mastram-zee.blogspot.com
ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी
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*कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़ेकहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़ेअपने
हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं काबोझ उठाये ढोता आदमी ने...
16 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बंधुवर, ग़लती के लिए पहले तो क्षमा। दरअसल इस नाम से तीन ब्लॉग मिले। दो पर उसी तरह की सामग्री थी। इसलिए जल्दबाजी में ये ग़लती हुई। आपके ब्लॉग की छवि पर जो धब्बा लगा उसके लिए फिर से क्षमा। आगे संपर्क में रहेंगे।
आपका
अतुल
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