हरिभजन को जाते लोग
ओटने लगते कपास
भजन करते हुए भोजन की आस
जब भूख और भय में घिर जाता इंसान
भ्रष्ट हो जाता है भले हो महान
देह की भूख का भजन से कोई वास्ता नहीं
भजन से रोटी की तरफ कोई
जाता रास्ता नहीं
फिर भी भजन करते लोग
लगाए भोजन की आस
जिनके पेट भरे हैं वह भी
और रोटी की करते आस
मुहँ में हरि का जपते नाम
मन में हरे पते का रटते नांम
पाने कि इच्छा को कहते विश्वास
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ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी
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*कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़ेकहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़ेअपने
हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं काबोझ उठाये ढोता आदमी ने...
16 वर्ष पहले
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