बुधवार, 27 फ़रवरी 2008

जो अपने थे कभी अजनबी हो जाते हैं-हिंदी शायरी

आज तो हिलोरें ले रहा हैं मन
दिल में खिल रहा है खुशी का चमन
कभी घेर लेता है तनावों का सिलसिला
पर किससे और क्यों करें कोई गिला
अपनी ही गलतियों का जिम्मा लोग
डालते हैं दूसरों पर
क्या यकीन करेंगे हम पर
हमारे गम पर लोग हँसते हैं
खुशी देख कर जलते हैं
इसलिए अच्छा है हम रखें अमन
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चेहरे नहीं बदलते पर लोगों के
कभी दिल बदल जाते हैं
यह आदमी नहीं वक्त का खेल है कि
जो अपने थे कभी अजनबी हो जाते हैं
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1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया लिखा है-

चेहरे नहीं बदलते पर लोगों के
कभी दिल बदल जाते हैं
यह आदमी नहीं वक्त का खेल है कि
जो अपने थे कभी अजनबी हो जाते हैं