रविवार, 24 फ़रवरी 2008

अहसास-(हिन्दी शायरी)

खाने-पीने की चीजों में बनावट
आचार-विचार में दिखावट
सब जगह सम्मान की छटपटाहट
बिकता हैं झूठ यहाँ
चलता हैं भ्रम यहाँ
धोखा देने का क्रम थमता कहाँ
चलते हैं सभी असत्य के पथ पर
बदलाव कभी होता नहीं
बस होती हैं उसके होने की सुगबुगाहट
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अपने खूबसूरत होने का अहसास
तभी तक ठीक रहता
जब तक आईने से चेहरा दूर रहता
जब देखते हैं उसे
लोग दिखावे की बात करते हैं
इसका अहसास होता रहता
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