गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008

बाजार के समान में दिल न लगाना-हिन्दी शायरी

लोगों ने जिनको दिल में बसाया
वह हीरो बिक गए बाजार में
दिल टूटने की बात क्यों करते हो
उसने भी तो उसे ही चाहा जो
चमका पहले बाजार में
बह गया प्रचार में

जो बिक नहीं सकता
वह किसी के दिल में बस नहीं सकता
कौडियों के मोल बिके या डालर के
बिकना जरूरी है
दिल जीतने से पहले
आंखों में बसना जरूरी है
जो सिर्फ देख पातीं बाजार में
टिक पातीं टीवी और अख़बार के प्रचार में
दिल के हीरो भी वही होते हैं
जो बैठे दौलत के अंबार में
इसलिए दिल में बसने से पहले
हीरो बिकने आते बाजार में
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देखो और भूल जाओ
फिल्म देखो या खेल
देखकर भूल जाओ
बाजार बहुत बड़ा है
वहाँ बिकते सामान में क्या मन लगाना
बाद में पड़े पछताना
कुछ पलों के लिए बहलाते है सामान
उनमें कभी अपना दिल मत लगाओ
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